एशियन कप : पटेल के दिए जख्मों पर हल्का सा मरहम

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लगातार तीन जीत और भारतीय फुटबाल टीम एशियन कप के मुख्य दौर में पहंच गई है| कोच इगोर इस्तिमेक और टीम प्रबंधन को ख़ुशी मनाने और बड़े बड़े दावे करने का मौका मिल गया है| लगातार तीन फ्रेंडली मुकाबले हारने के बाद भारतीय टीम के कोच और खिलाडी खामोश थे लेकिन अब उन्हें हांकने का मसाला मिल गया है|
बेशक, खुश होने का मौका है क्योंकि पिछले कुछ महीनों में भारतीय फुटबाल ने बहुत कष्टदाई दौर झेला है| परिवार के मुखिया प्रफुल्ल पटेल की धोखाधड़ी और खेल बिगाड़ने की बदनीयत ने भारतीय फुटबाल को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर न सिर्फ शर्मसार किया अपितु लगातार पिछड़ रही फुटबाल को लगभग पंचर ही कर डाला था| अब एशियन कप की में किए प्रदर्शन से थोड़ी राहत जरूर मिलेगी| लेकिन यह प्रदर्शन बहुत ज्यादा पागलपन दिखाने और हुडदांग मचाने जैसा नहीं है|

यह न भूलें कि हमने अपनी मेजबानी में महाद्वीप की तीन सबसे फिसड्डी टीमों को हरा कर आगे बढ़ने का सम्मान हासिल किया है| हमेशा की तरह सुनील क्षेत्री स्टार बन कर उभरे| फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ अन्य खिलाडी भी गोल जमाने में सफल रहे जिन्हें कोच और भंग फेडरेशन के जी हुजूर क्षेत्री का विकल्प तक बताने लगे हैं| बेशक, यह उनका दिमागी दीवालियापन है| यह भी कह सकते हैं कि पटेल के अलावा देश के फुटबाल प्रेमियों को गुमराह करने वाले और भी बहुत हैं|

फिलहाल ब्ल्यू टाइगर्स (जो होता नहीं) को बधाई| पटेल के १४ सालों का कार्यकाल भारतीय फुटबाल के लिए बनवास जैसा था, जिसमें कुछ भी उल्लेखनीय नहीं रहा| विश्व कप और ओलम्पिक खेलने के बड़े बड़े दावों को सुन कर कान पक गए थे लेकिन एशियाई खेलों और एशिया कप में भी भाग लेने के लाले पड़े रहे| देखना यह होगा कि पटेल की जगह पर कौन नेता अभिनय करने आता है और देश कि फुटबाल को कैसे कैसे सब्जबाग दिखाता है|

फीफा रैंकिंग में अपने से बेहतर टीम को भारत ने सालों पहले जरूर हराया होगा लेकिन एशियन कप में अब सभी मुकाबले टफ होने जा रहे हैं| पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाडी और फ़ुटबाल जानकारों की राय में यदि भारतीय टीम पहले आठ में भी स्थान बना लेती है तो काफी रहेगा| इसके बाद की राह आसान नहीं है| एशिया के लगभग दर्ज़न भर देश भारत से बहुत आगे चल रहे हैं, जिनसे पार पाकर विश्व कप खेलने का सपना देखा जा सकता है| ध्यान देने वाली बात यह भी है कि भारतीय फुटबाल को सुनील क्षेत्री का विकल्प भी तैयार करना है| वार्ना क्या हो सकता है भारतीय फुटबाल के कर्णधार बखूबी जानते हैं|

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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