डीएफसी ने इतिहास रचा, अब आईएसएल निशाने पर!

DFC creat history Now ISL is target

असम के पहले मुख्यमंत्री भारत रत्न लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई की याद में गठित ‘बोरदोलोई ट्राफी’ का खिताब जीत कर दिल्ली के चैम्पियन क्लब – दिल्ली एफसी ने देश की राजधानी की फुटबाल को एक बार फिर से राष्ट्रीय फुटबाल मानचित्र पर मज़बूत पहचान दिलाई है। रोमांचक फाइनल में डीएफसी ने नागालैंड पुलिस को हरा कर न सिर्फ खिताब जीता अपितु आईलीग और आईएसएल क्लबों को खबरदार भी कर दिया है।

दिल्ली की फुटबाल में जोरदार धमाका करने वाले क्लब ने चंद माह पहले राष्ट्रीय फुटसल चैम्पियनशिप जीतने के तुरंत बाद दिल्ली लीग में खिताब जीता और अब वह कर दिखाया जिसे आज तक दिल्ली का कोई भी क्लब नहीं कर पाया था। जीत के तुरंत बाद एक साक्षात्कार में डीएफसी के प्रमुख, संचालक और सर्वेसर्वा रणजीत बजाज ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उनका अगला लक्ष्य आई लीग में बेहतर करना और तत्पश्चाल आईएसएल में बड़ी पहचान बनाने का है।

जहां तक बारदोलोई ट्राफी जीतने की बात है तो गुवाहटी में खेला जाने वाला यह टूर्नामेंट कभी देश के सबसे बड़े आयोजनों में शुमार था। कोलकाता के दिग्गज क्लब मोहन बागान ने इस टूर्नामेंट को सात बार जीत कर शानदार रिकार्ड कायम किया तो ईस्ट बंगाल और मोहम्मडन स्पोर्टिंग ने क्रमशः छह बार खिताबी जीत दर्ज की। कुछ साल पहले तक नेपाल, बांग्लादेश, थाईलैंड और अन्य देशों की टीमों के लिए भी यह आयोजन आकर्षण का केंद्र था, जिसमें बांग्लादेश के आवाहनी क्रीड़ाचक्र को 2010 में एक बार खिताब चूमने का मौका मिला।

दिल्ली के क्लब का चैम्पियन बनना दर्शाता है कि सालों बाद दिल्ली की फ़ुटबाल सही ट्रैक पर चल निकली है, जिसका श्रेय डीएफसी को जाता है। डीसीएम और डूरंड कप जैसे आयोजनों में दिल्ली के क्लबों ने शानदार प्रदर्शन कर खूब मान सम्मान कमाया था। शिमला यंग्स, एंडी हीरोज, मुगल्स, सिटी, गढ़वाल हीरोज, नेशनल, यंगस्टर आदि क्लब राष्ट्रीय स्तर पर जाने पहचाने गए। उस समय जबकि भारतीय फुटबाल के पतन का सीधा असर दिल्ली की फुटबाल पर नजर आ रहा था, दिल्ली एफसी के उदय से उम्मीद जगी है। तारीफ़ की बात चैम्पियन क्लब के मालिक रंजीत बजाज का आत्म विश्वास है, जिन्होंने आईएसएल में खेलने और जीतने का विश्वास व्यक्त किया है।

डीएफसी की रिकार्डतोड़ जीतों से यह साफ़ हो गया है कि आने वाले दिनों में दिल्ली के क्लबों को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। उन्हें यदि चैम्पियन क्लब से पार पाना है तो डीएफसी की तरह पूरी तरह पेशेवर तेवरों के साथ मैदान में उतरना होगा, जिसके लिए शायद ज्यादातर क्लब तैयार नहीं हैं, क्योंकि उनकी माली हालत अच्छी नहीं है। खैर, दिल्ली एफसी ने राष्ट्रीय फुटबाल मानचित्र पर बड़ी पहचान बना ली है यदि प्रगति की रफ़्तार सही दिशा में रही तो वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली का कोई क्लब सभी पिछले रिकार्ड तोड़ दे। डीएफसी को बधाई और शुभकामना।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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