दिल्ली विधानसभा सत्र के दूसरे दिन, मंगलवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की 14 रिपोर्ट्स पेश की जाएगी. इनमें शराब नीति, सार्वजनिक स्वास्थ्य, परिवहन, वित्तीय प्रबंधन और सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों से संबंधित रिपोर्ट्स शामिल हैं. खास बात यह है कि इन रिपोर्ट्स को आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान लंबित रखा था. अब दिल्ली में भाजपा की सरकार है. ऐसे में विपक्ष में बैठी आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
2024 के रिपोर्ट में देखा गया सुधार
2024 में पेश की गई रिपोर्ट्स में कुछ सुधार देखा गया, लेकिन देरी का सिलसिला फिर भी जारी रहा. “शराब आपूर्ति और नियमन” पर प्रदर्शन ऑडिट रिपोर्ट को 278 दिनों तक और “राज्य वित्त ऑडिट रिपोर्ट” को 153 दिनों तक लंबित रखा गया. हालांकि, “दिल्ली परिवहन निगम के कामकाज” और “सार्वजनिक उपक्रमों” से जुड़ी रिपोर्ट्स को मात्र दो दिनों में निपटा दिया गया, जो सकारात्मक संकेत है.
14 रिपोर्ट होंगी पेश
दिल्ली में नवगठित विधानसभा का सत्र शुरू हो चुका है. एलजी वीके सक्सेना ने प्रोटेम स्पीकर अरविंदर सिंह लवली को शपथ दिलाई. इसके बाद वह विधायकों को शपथ दिला रहे हैं. इसी सत्र में विधानसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव होना है. इस बीच, दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि 27 फरवरी तक चलने वाले विधानसभा के इसी सत्र में सीएजी की पेंडिंग सभी 14 रिपोर्ट पेश की जाएंगी. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आम आदमी पार्टी की सरकार की गलत शराब नीति के कारण दिल्ली को दो हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा.
आम आदमी पार्टी उठा सकती है सवाल
सीएजी की इस रिपोर्ट से आम आदमी पार्टी सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठना लाज़िमी है. विधानसभा में इन रिपोर्ट्स के पेश होने के बाद विपक्षी दल सरकार से जवाब मांग सकते हैं कि आखिर इतनी देरी क्यों हुई और इसका असर प्रशासनिक कार्यों पर कैसे पड़ा. विधानसभा में इन रिपोर्ट्स पर चर्चा के दौरान गर्मागर्म बहस होने की संभावना है, क्योंकि ये रिपोर्ट्स वर्तमान में आम आदमी पार्टी की पूर्व सरकार के कामकाज की पारदर्शिता पर सीधे सवाल खड़े करती हैं.
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