मन की आवाज कहलाए कलम से – दोस्ती शायरी

friendship

1
सुना दोस्ती के पन्नों से भारी किताब हो तुम,
रिश्तो के फूलों में गुलाब हो तुम,
कुछ लोग कहते हैं दोस्ती सच्ची नहीं होते,
उन लोगों के सवालों का जवाब हो तुम।

2
खुशबू तेरी दोस्ती कि मुझे महक जाती है,
तेरी हर बात मुझे बहक जाती है,
सांस तो बहुत देर तक लेती है आने जाने में,
हर सांस से पहले तेरी याद आ जाती है।

3
दोस्ती ग़ज़ल है गाने के लिए,
दोस्ती नगमा है सुनाने के लिए,
यह वह जज्बा है जो सबको नहीं मिलता,
क्योंकि आप जैसा दोस्त चाहिए निभाने के लिए।

4
दिल के जज़्बात की आवाज नहीं होती,
इकरार में शुरू की बरसात नहीं होती,
निगाहें बयां कर देती है सारे दास्तान,
दोस्ती लफ्जों के मोहताज नहीं होती।

5
दोस्ती नज़ारों से हो तो उसे कुदरत कहते हैं,
सितारों से होते उसे जन्नत कहते हैं,
हंसने से हो तो उसे मोहब्बत कहते हैं,
और आप से हो तो उसे किस्मत कहते हैं।

मन की आवाज कहलाए कलम से
रोज़ी।

Rozi 1

Share:

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *