निकल गई हेंकड़ी, देख लिया आईना!

Over confident India fails to impress

पेरिस ओलंम्पिक 2024 के लिए लगभग तीस महीने का समय बचा है। भारत की तरह अन्य हॉकी राष्ट्र भी तैयारी में जुटे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि भारतीय तैयारी दावों और हवाबाजी में चल रही है तो बाकी देश गुप चुप अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। हाल ही में खेले गए जूनियर वर्ल्ड कप के नतीजों से यह तो पता चल गया है कि हमारे जूनियर इतने दमदार नहीं हैं जितने उनके बारे में हवा उड़ाई गई थी।

यह सही है कि ओलंम्पिक में किसी भी देश के बेस्ट भाग लेते हैं। इस कसौटी पर भारतीय भावी टीम को कसा जाए तो बेहद निराशा हाथ लगेगी। हमारे जिन जूनियरों को पेरिस में उतरना है उनको फ्राँस ने एक्सपोज कर दिया है। फ्रांस ने मेजबान भारतीय हॉकी टीम को दो बार हरा कर जहां एक ओर अपनी तैयारी के दर्शन कराए हैं तो टोक्यो ओलंम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी को हैसियत का आईना भी दिखा दिया है। भले ही मेज़बान ने बेल्जियम को हरा कर अंतिम चार में जगह पक्की की लेकिन अर्जेंटीना, जर्मनी और फ्रांस के युवा खिलाड़ियों ने दिखा दिया कि उनके जूनियर बेहतर स्थिति में हैं।

भारतीय हॉकी प्रेमी जानते हैं कि टोक्यो ओलंम्पिक में पदक जीतने वाली टीम के पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे। मान सम्मान की भरमार के चलते हॉकी इंडिया और तमाम दावे करने लगे थी कि अब भारतीय हॉकी किसी से रुकने वाली नहीं है। जूनियर वर्ल्ड कप शुरू होने पर कहा गया कि भारत अपने खिताब की रक्षा के लिए किस कदर उतावला है। बड़े बड़े दावे किए गए और भाग लेने वाली टीमों को कुचल डालने की हुंकार भरी गई। लेकिन सर मुंडाते ही ओले पड़े । फ्रांस ने मेजबान को पटखनी दी तो कहा गया कि कभी कभार ऐसा हो जाता है। लेकिन जर्मनी से पिटने के बाद जब हमारे भावी चैंपियनों को फ्रांस ने फिर से पटका तो शायद भारतीय हॉकी के बड़बोलों की आंख खुल गई होगी।

अपनी मेजबानी, अपने दर्शक, अपना माहौल फिरभी बुरी तरह हारना अच्छा संकेत नहीं है। बेशक, हार जीत खेल का हिस्सा है लेकिन घमंड और अत्यधिक आत्मविश्वास पहले भी भारतीय हॉकी को छलते रहे हैं। सबक नहीं सीखने का नतीजा है कि चालीस पचास साल तक हमारी हॉकी गुमनामी में भटकती रही।

यह ना भूलें कि ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड की टीमों ने चैंपियनशिप में भाग नहीं लिया, वरना प्रदर्शन और गिर सकता था। तो फिर हॉकी इंडिया यह मान ले कि अपने जूनियर भरोसे के लायक कदापि नहीं हैं। इन्हें सिर चढ़ाना घातक हो सकता है।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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