पंजाब और मेजबान दिल्ली के बीच खेले जाने वाले संतोष ट्राफी के निर्णायक मुकाबले से यह तय होगा कि कौनसी टीम अंतिम राउंड में पहुंचेगी। दोनों ही टीमों ने हरियाणा और उत्तराखंड के विरुद्ध अपनेअपने मैच बड़े अंतर से जीते हैं। जहां तक रिकार्ड की बात है तो पंजाब ने संतोष ट्राफी में हमेशा अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। कई बार विजेता रही पंजाब टीम भले ही अपनी पुरानी पहचान खो चुकी है लेकिन वर्तमान टीम में कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं जोकि मैच का नक्शा बदलने में दक्ष दिखाई पडते हैं।
आज पंजाब के पास महान इंदरसिंह, मंजीत, परमिंदर, हरजिंदर, नरेंद्र गुरंग जैसे दिग्गज नहीं हैं ; जेसीटी, सीमा बल, पंजाब पुलिस जैसी टीमें भी लुप्त हो चुकी हैं फिरभी वर्तमान टीम में कुछ अच्छे खिलाड़ी नजर आ रहे हैं, जोकि दिल्ली को हैरान कर सकते हैं।
दिल्ली का दावा इसलिए मजबूत है क्योंकि मेजबान को अपने मैदानऔर मुट्ठी भर फुटबाल प्रेमियों के सामने खेलना है। बड़ी बात यह है कि निर्णायक मैच से पहले तक दिल्ली का गोल औसत पंजाब से बेहतर है। फर्क सिर्फ इतना है कि पंजाब का गोल फिलहाल अभेद्य है, जबकि दिल्ली पर उत्तराखण्ड की फिसड्डी टीम एक गोल जमानेमें सफल रही थी।
मेजबान के पक्ष में एक बड़ी बात यह है कि उसके अधिकाँश खिलाड़ी स्थानीय कलबों में खेलते हैं और पंजाब की बजाय दिल्ली में लीग फुटबाल ज्यादा संतुलित रही है। यदि कहीं कोई कमी नजर आती है तो बेंच स्ट्रेंथ की। अत्यधिक ड्रिब्लिंग और कौशल दिखाने से भी बचना हो
मेजबान को यदि जीत पानी है तो पंजाब के तेज तर्रार फारवर्ड पर नकेल डालनी होगी, जिनकी रफ्तार दिल्ली की रक्षा पंक्ति को हैरान कर सकती है। भले ही उत्तराखंड कमजोर टीम है लेकिन उस पर पंजाब ने जिस अंदाज में 11 गोल जमाए और दर्जन भर मौके गंवाए उसे देखते हुए दिल्ली को अपनी रणनीति के बारे में फिर से सोचना होगा। स्पीड, स्टेमिना और रणनीति हर मामले में पंजाब को थोड़ा बेहतर कहा जा रहा है। लेकिन जीत के लिए भाग्य के साथ साथ ऊंचे मनोबल की जरूरत होती है और वह मेजबान के पास है।
उत्तराखंड की फुटबाल शायद ही कभी इतनी चर्चा में रही होगी, जितनी इस बार थू थू की पात्र बनी है। खिलाड़ियों के चयन से लेकर उनकी यूनिफार्म, उनका खेल कौशल और प्रदेश की फुटबाल की बदहाली पर बहुत कुछ कहा सुना गया। देखना यह होगा कि नालायक टीम का बस्ता कितना भारी होगा।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |