संतोष ट्राफी राष्ट्रीय फुटबाल चैंपियनशिप के मुकाबले शुरू हो चुके हैं लेकिन शुरुआत से बहुत पहले तमाम राज्य इकाइयों में टीम चयन को लेकर विवाद भी हो रहे हैं। शायद ही कोई राज्य होगा जिसकी चुनी गई टीम पर सवाल खड़े ना हुए हों।
पिछले कुछ दिनों से झारखंड फुटबाल एसोसिएशन के विरुद्ध एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है जिसमें प्रदेश के खिलाड़ी , क्लब अधिकारी और अन्य लोग संतोष ट्राफी के लिए चुनी गई टीम को लेकर गुस्साए हुए हैं। अलग अलग स्तर पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कई पूर्व खिलाड़ी और क्लब पूछ रहे हैं कि जब वार्षिक लीग का आयोजन ही नहीं हुआ तो टीम का चयन कैसे कर लिया गया? आमतौर पर हर राज्य लीग मैचों के आयोजन और प्रदर्शन के आधार पर अपनी टीम का चयन करता है।
लेकिन झारखंड अकेला ऐसा प्रदेश नहीं है जहां लीग या अन्य गतिविधियों के बिना ही टीम का चयन कर लिया गया है। यह सही है कि महामारी के कारण आयोजन संभव नहीं हो पाया होगा। लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि टीम का चयन किस आधार पर किया गया? बेचारे खिलाड़ी सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर ट्रायल में भाग लेने आए थे पर उन्हें उल्टे पांव वापस लौटा दिया गया।
भारतीय फुटबाल पर सरसरी नजर डालें तो लगभग सभी राज्यों में हालात झारखंड जैसे ही हैं। फुटबाल वतिविधियाँ ठप्प पड़ी हैं या कोरोना का बहाना बना कर प्रतिभाओं का दोहन किया जा रहा है। अधिकांश राज्यों के खिलाड़ी और क्लब अधिकारी हैरान परेशान हैं। टीमों का चयन हो चुका है और सन्तोष ट्राफी को शुरू होने में दो तीन दिन बचे हैं।
एक जमाना था जब संतोष ट्राफी खेलना हर खिलाड़ी का पहला सपना होता था। तब यह माना जाता था कि जो संतोष ट्राफी राष्ट्रीय चैंपियनशिप खेल गया उसका भविष्य सुरक्षित हो गया। एकसर्टिफिकेट कालेज में दाखला लेने और नौकरी पाने के लिए काफी था। आज भी संतोष ट्राफी की मान्यता है लेकिन आईएसएल और आई लीग के अस्तित्व में आने केबाद यह आयोजन महज खानापूरी रह गया है। 23 साल तक के खिलाड़ियों तक सीमित कर दी गई संतोष ट्राफी में उभरते खिलाड़ी जरूर भाग लेते हैं लेकिन उन्हें श्रेष्ठ कदापि नहीं कहा जा सकता। फ़िरभी टीम में चयन के लिए हर राज्य में धोखाधड़ी, गंदी राजनीति और अपने अपनों को रेबड़िया बांटने का खेल खेला जा रहा है।
लगभग सभी राज्यों में खिलाड़ी और अधिकारी टीम के चयन को लेकर नाराज हैं । उत्तर प्रदेश , एमपी, राजस्थान, पंजाब, , झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हिमाचल और अन्य प्रदेशों में असंतोष व्याप्त है। आरोप प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि संतोष ट्राफी ए आई एफ एफ की प्राथमिकता में शामिल नहीं है। अब यह राष्ट्रीय चैंपियनशिप फेडरेशन की नाजायज संतान बन कर रह गई है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |