वाह री टीम इंडिया, तेरा भी जवाब नही। वाह वाह भारत देश के क्रिकेट पंडितों, आप तो लाजवाब हैं !! यह तारीफ़ इसलिए क्योंकि भारतीय क्रिकेट टीम का वर्ल्ड कप से बोरिया बिस्तर लगभग बंध चुका था लेकिन हमारे तथाकथित क्रिकेट एक्सपर्ट्स भारत को अंतिम चार में घुसेड़ने की संभावना आखिर तक तलाशते रहे। दो सबसे महत्वपूर्ण मैच हारने के बाद हमारे खिलाडी जाती बहार के मेवे लूटते रहे। इस लूट में उन्हें खूब मजे आ रहे थे। लेकिन जब न्यूज़ीलैंड ने अफगानिस्तान को हराया तो भारतीय क्रिकेट खामोश हो गई।
हालाँकि अफगानिस्तान और स्कॉटलैंड के विरुद्ध खूब रन बन रहे थे , विकेट गिरा रहे थे और सेमीफइनल में पहुँचने की गलत फहमी भी बलवती होती जा रही थी लेकिन न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध अफगानियों का समर्पण भारतीय उम्मीदों को भी ले डूबा। इसके साथ ही इधर उधर हाथ मारने वालों और बेबात की बात करने वालों की बोलती भी बंद हो गई।
धन्य हैं भारत महान के क्रिकेट पंडित। धन्य धन्य हैं प्रचार माध्यमों के बड़बोले जिन्हें आखिर तक भारतीय क्रिकेट टीम की किस्मत खुलने का भरोसा था । लेकिन उनसे यह तो पूछा जा सकता है की भला आप उम्मीद कैसे बांधे रहे? भले ही हमारी टीम अफ़ग़ानिस्तान और स्कॉटलैंड को पीट चुकी थी और नामीबिया से बस खाना पूरी करनी बाकी थी। लेकिन भारतीय उम्मीद का रास्ता न्यूजीलैंड की नाकामी से तय होना था पर ऐसा नहीं हुआ।
उस न्यूजीलैंड को जिसने टीम इंडिया को आसानी से पीट गिराया था, अफगानिस्तान के सामने कमजोर आंकना न सिर्फ दिमागी दीवालियापन है अपितु भारतीय क्रिकेट की लाचारगी को भी दर्शाता है। लेकिन क्रिकेट जैसे खेल में कुछ भी संभव है। रन रेट के लिहाज से मेजबान टीम टॉप पर थी लेकिन चिड़िया तो खेत चुग चुकी थी । होश आने में बहुत देर कर दी। काश घमंड और अत्यधिक आत्मविश्वास वाली टीम पहले से ही बेहतर रणनीति बना कर चलती तो उसे सिर चढाने वाले और सिर फिरे मीडिया की इज़्ज़त का पलीदा भी नहीं होता।
हैरानी वाली बात यह है कि पकिस्तान और न्यूजीलैंड से शर्मनाक हार पाने पर जिस मीडिया ने खिलाडियों का जीना हराम कर दिया था वही मीडिया कमजोर टीमों का दम निकालने वाले अपने मिटटी के शेरोँ के गुणगान में लग गया था। सच तो यह है कि भारतीय टीम का असली दुश्मन बड़बोलापन था। मेजबान टीम के बाहर होने का रास्ता पकिस्तान और न्यूजीलैंड से हारने के बाद ही तैयार हो गया था। तत्पश्चात हमारे खिलाडी, क्रिकेट प्रेमी और और क्रिकेट प्रशासन झूठे सपने देखते रहे। अंततः न्यूज़ीलैंड ने अफगानिस्तान को पीट कर भारतीयों का जोश ठंडा कर दिया।
देखा जाए तो एक और विश्व कप भारतीय क्रिकेट के लिए एक सबक छोड़ गया है। वह यह कि भले ही क्रिकेट अनिश्चितता का खेल है लेकिन श्रेष्ठ और शांत टीम ही अंततः सफल होती है। जो शोर मचाते हैं अपनी ताकत का बखान करते हैं उनका हाल टीम इंडिया जैसा होता है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |