हाल ही में एक सरकारी विभाग में खिलाड़ियों की भर्ती को लेकर खेल हलकों में ऐसा बहुत कुछ कहा सुना जा रहा है, जिसे लेकर खिलाड़ियों , खेल प्रेमियों और अभिभावकों में खासी नाराजगी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार खेल कोटे की भर्ती के लिए लाखों का खेल खेला गया। सूत्रों से पता चला है कि कुछ जाने माने और लोकप्रिय खेलों की भर्ती पर 20 से 30 लाख प्रति नियुक्ति लिए गए। हालांकि कुछ भी गारंटी के साथ नहीं कहा जा सकता लेकिन धुआं उठा है तो कहीं कुछ तो हुआ है।
सच तो यह है कि स्पोर्ट्स कोटे की नौकरियों का गड़बड़ झाला नया नहीं है। सालों से इस प्रकार का खेल खेला जाता रहा हैl आगे चलकर यही ऊंची पहुंच वाले विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी विभागों के भ्रष्ट अधिकारी बन जाते हैं । क्योंकि इनकी बुनियाद रिश्वत और धोखाधड़ी पर टिकी होती है इसलिए खेलों से खिलवाड़ करने में इन्हें जरा भी डर नहीं लगता।
तमाम खेल संघों और राज्य संघों पर यही अवसरवादी कब्जा जमाए बैठे हैं , भले ही उनका कभी किसी खेल से नाता नहीं रहा। चोर दरवाजे से इनके बेटे, भाई – भतीजे और करीबी राज्य टीमों में खेलने जाते हैं । खेल चाहे हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट, बैडमिंटन, कुश्ती, मुक्केबाजी, टेबल टेनिस या कोई भी हो, सरकारी विभागों के अवसरवादी- मसलन ड्राइवर, क्लीनर, क्लर्क, दर्जी, पान , बीड़ी सिगरेट बेचने वाले विभिन्न खेलों के माई बाप बने हुए हैं। खेल अकादमियों और क्लबों के मठाधीश बने बैठे ऐसे अवसरवादी देश – प्रदेश में खेलों का माहौल बिगाड़ रहे हैं ।
विभिन्न प्रदेशों में क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल और अन्य टीम खेलों के क्लब कब्जाने वालों का रिकार्ड देखें तो ज्यादातर फर्जीवाड़े से नौकरी पाने में सफल रहे। फर्जीवाड़ा पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है । ऐसे लोगों के कारण ही असल प्रतिभाएं और हकदार दब कर रह जाते हैं। नतीजा सामने है। डेढ़ सौ करोड़ की आबादी वाला सबसे बड़ा देश खेलों में महाफिसड्डी है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |