New Delhi: मौसिकी के संसार में जिनकी तबले की थाप ने एक अनोखी पहचान बनाई, वे महान उस्ताद जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे। 73 वर्ष की आयु में उनका निधन सोमवार सुबह अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में हुआ। उन्हें रविवार रात एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया था, जहां उनका इलाज रक्तचाप की समस्या के कारण चल रहा था। उस्ताद जाकिर हुसैन, जो उस्ताद अल्ला रक्खा खां के पुत्र थे, ने अपने जीवन के शुरुआती वर्षों में ही तबले की तालीम अपने पिता से ली और संगीत की दुनिया में एक मिसाल कायम की।
संगीत की दुनिया में अकल्पनीय योगदान
उस्ताद जाकिर हुसैन का नाम तबले के महान उस्तादों में अग्रणी रूप से लिया जाता है। उन्होंने न केवल अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया, बल्कि तबले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिष्ठा दिलाई। 1992 में ‘द प्लेनेट ड्रम’ और 2009 में ‘ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट’ के लिए उन्हें ग्रैमी अवार्ड से नवाजा गया। उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 2024 में तीन अलग-अलग संगीत एलबमों के लिए तीन ग्रैमी अवार्ड मिले। इसके अलावा, उन्हें पद्म विभूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिले। उस्ताद का संगीत के प्रति समर्पण और गहरी समझ हमेशा प्रशंसा का कारण रहा।
शादी और पारिवारिक जीवन
उस्ताद जाकिर हुसैन ने 1978 में कथक नृत्यांगना एंटोनिया मिनीकोला से शादी की। इस जोड़ी के दो बेटियां हैं—अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी। अपने परिवार के साथ उन्होंने जीवन के कुछ बेहतरीन पल बिताए, और उनके परिवार का संगीत और कला के प्रति समर्पण भी उतना ही महान था जितना कि उनका खुद का।
फिल्मों में अभिनय का भी किया प्रयास
उस्ताद जाकिर हुसैन सिर्फ संगीत के ही नहीं, बल्कि अभिनय के भी शौकिन थे। 1983 में उन्होंने फिल्म ‘हीट एंड डस्ट’ से अभिनय की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने ‘द परफेक्ट मर्डर’, ‘मिस बैटीज चिल्डर्स’ और ‘साज’ जैसी फिल्मों में भी अपनी अदाकारी का हुनर दिखाया। उनका अभिनय उतना ही सशक्त था जितना उनका संगीत।
तबले को आम लोगों से जोड़ने की उनकी कोशिश
उस्ताद जाकिर हुसैन तबले को हमेशा आम लोगों से जोड़ने का प्रयास करते थे। वे अपने शास्त्रीय वादन में बीच-बीच में विभिन्न ध्वनियों की प्रस्तुति करते थे, जैसे डमरू, शंख और बारिश की बूंदों की आवाजें। उनका मानना था कि शिवजी के डमरू से निकलने वाले शब्द तालवादकों के लिए ताल की भाषा बन गए। उनके शब्दों में संगीत और आध्यात्मिकता का गहरा समन्वय था, जो उन्हें और भी विशिष्ट बनाता था।
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Ms. Pooja, |