लगातार दो जीत दर्ज कर पकिस्तान ने वर्ल्ड कप के सेमीफइनल में स्थान लगभग पक्का कर लिया है। भारत और न्यूजीलैंड जैसी दिग्गज टीमों को हराने के बाद उसके लिए कोई बड़ी बाधा नहीं बची है। लेकिन भारतीय टीम के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। टीम इंडिया को सबसे पहले न्यूजीलैंड के विरुद्ध 31 अक्टूबर को खेला जाने वाला मुकाबला हर हाल में जीतना है, वह भी बड़े अंतर के साथ। वरना क्या हो सकता है सभी जानते हैं। भले ही भारतीय टीम प्रबंधन और कप्तान कोहली कुछ भी कहें, कैसी भी बयानबाजी करें परन्तु मेजबान टीम पर दबाव ज्यादा बढ़ गया है।
पकिस्तान के हाथों हुई करारी हार के बाद टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली की प्रतिक्रिया मायने रखती है। कोहली ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि पकिस्तान से मिली हार ही वर्ल्ड कप जीतने कि राह आसान करेगी। शायद कप्तान कहना चाह रहे हैं कि शुरूआती झटके से भारतीय खिलाइयों को संभलने का सबक मिल गया है। भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने भी उस हार को भुलाने का मन बना लिया है और अब सभी आगे के बारे में सोच रहे है। टीम इंडिया के पक्ष में एक बड़ी बात यह जाती है कि खिलाडियों और टीम प्रबंधन को सोचने समझने और आगे कि रणनीति बनाने के लिए एक हफ्ते का समय मिल गया है। लेकिन इस बीच भारतीय खेमे में जो कुछ चल रहा है उसे देखते हुए तो यह लग रहा है कि टीम इंडिया को वापसी के लिए नए सिरे से और पूरी ईमानदारी के साथ एकजुट प्रयास करने होंगे।
विराट कोहली जानते हैं कि न्यूजीलैंड के विरुद्ध खेला जाने वाला मैच कितना महत्वूर्ण है। शायद टीम प्रबंधन और कप्तान ने पकिस्तान के हाथों हुई शर्मनाक हार के बाद नए सिरे से रणनीति जरूर तैयार कर ली होगी। इतना तय है कि जो जोश पहले मैच के लिए संचित किया था उसे दिखाने कि जरुरत नहीं पड़ेगी। कारण पकिस्तान के विरुद्ध खेले जाने वाले मुकाबले कुछ हट कर होते है। भारत को दौड़ में बने रहना है तो हर हाल में जीतना पडेगा । शायद कीवी टीम भी हर हाल में जीत का प्रयास करेगी। ।
फिलहाल पकिस्तान ने अजेय रहने वाले भारतीय रिकार्ड पर दाग तो लगा दिया। दस विकेट कि हार का दाग आसानी से धुलने वाला नहीं है। अब मौका लगातार बेहतर प्रदर्शन करने का है ताकि अपने पूल में अच्छे अंक बना कर विराट कि टीम ख़िताब के लिए दावा पेश कर सके। यह न भूलें कि पकिस्तान से हारने के बाद टीम प्रबंधन, कोच, कप्तान और खिलाडियों पर गंभीर आरोप लगाए जाते रहे है। जो मीडिया विराट सेना का भक्त बना हुआ था , दिन रात गुणगान कर रहा था , उसका जैसे सुख चैन छिन गया है। पराजित खिलाडियों के प्रदर्शन को कोसा जा रहा ह। कोई सट्टेबाजी का आरोप लगा रहा है तो दूसरा कह रहा है कि भारतीय खिलाडी रूपए डालरों के भूखे हैं। यही लालच उन्हें आईपीएल खेलने को विवश करता है जिसके चलते खिलाडियों का खेल बिगड़ रहा है और उनकी तकनीक पर बुरा असर पड़ा है।
भारतीय खेमे में चिंता के साथ साथ करो या मरो कि भावना जरूर उफान ले रही होगी। रवि शास्त्री, महेंद्र सिंह धोनी और खुद कप्तान विराट कोहली के पास बड़ा अनुभव है और अनेकों बार उन्हें ऐसी विकट स्थिति का सामना करना पड़ा होगा, जिससे से उबर कर टीम इंडिया ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया और वापसी की है। शायद अपने परम्परागत प्रतिद्वंद्वी को कमतर आंकने की भूल मंहंगी पड़ी है। लेकिन अब थिंक टैंक को कोई रास्ता निकलना होगा। वरना यह तोहमत हमेशा लगेगी कि पकिस्तान ने भारत को दौड़ से बाहर करने कि ठानी थी और वह अपने मकसद में कामयाब रहा।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |