सुनील क्षेत्री क्यों है खेल रत्न का हकदार ?

Sunil Chetri

इस बार जिन 11 खिलाडियों को खेल रत्न के लिए नामित किया गया है उनमें एक खिलाडी ऐसा है जिसकी उपस्थिति थोड़ी अटपटी सी लगती है | ना वह क्रिकेटर है और ना ही उसने ओलम्पिक में भाग लिया है फिरभी वह खेल रत्न का दावेदार बन गया तो कैसे? यह भी बता दें की उस खिलाडी ने अकेले दम पर अपने खेल को जीवित रखा है, जिसके लिए उसे खेल रत्न दिया जा रहा है। अब तो आप समझ ही गए होंगे की वह खिलाडी कौन है और किस खेल से है और कैसे उसने ग्यारह की टीम में घुसपैठ की है!

जी हाँ, इस खिलाडी को सुनील क्षेत्री कहते हैं, जोकि 36 साल का हो गया है और आज भी वैसे ही खेल रहा है जैसे कोई बीस साल का युवा हो। सबसे बड़ी बात यह है की उसने लगभग मर चुकी भारतीय फुटबाल की साँसे थामे रखी हैं। भले ही नीरज चोपड़ा ओलम्पिक गोल्ड जीतने पर खेल रत्न के स्वाभाविक दावेदार हैं और ओलम्पिक में पदक जीतने वाले और क्रिकेट में बेहतर करने वाले खिलाडियों को भी सम्मान मिलना चाहिए। लेकिन सुनील क्षेत्री के खेल में भारत को ओलम्पिक खेले साठ साल हो गए हैं । ओलम्पिक तो बड़ी बात है भारतीय फुटबाल टीम एशियाड में भी भाग नहीं ले पाती। इसलिए क्योंकि हमारी फुटबाल में दम नहीं बचा ।

सवाल यह पैदा होता है कि एक अकेला खिलाडी पूरे देश की फुटबाल को अपने कंधे पर कैसे लाद सकता है| 1951 और 1962 के एशियाई खेलों में भारत ने स्वर्ण जीते। चार ओलम्पिक खेले और कई विश्व स्तरीय खिलाडी पैदा किए । इसलिए क्योंकि तब हमारे पास एक से बढ़ कर एक खिलाडी मौजूद थे। प्रतिभावान खिलाडी इतने थे कि एक पोजीशन के लिए कई खिलाडियों के बीच कांटे की टक्कर थी । लेकिन आज दो तीन गिने चुने खिलाडी हैं जिन्हें स्तरीय कहा जा सकता है, जिनमे क्षेत्री नंबर एक पर है। जब भारतीय टीम को गोल की जरुरत होती है वह गोल जमाता है और अपनी टीम को जीत दिलाता है ।

पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से यही सिलसिला चल रहा है। विजयन, अंचरी और बाई चुंग भूटिया की भूमिका वह अकेला निभा रहा है। भारतीय टीम को जो थोड़ी बहुत कामयाबी मिली है, सैफ कप जीत कर गली का दादा कहलाने का सम्मान मिला है वह सब क्षेत्री के जादुई प्रदर्शन से संभव हो पाया है। पांच फुटा खिलाडी कब किस कोण से गोल दाग देता है छह फुटे रक्षकों और गोली को पता भी नहीं चल पाता ।

बेशक, वह भारतीय फुटबाल का परफेक्ट खिलाडी है, गोल जमाने कि कला का माहिर है और उम्र को उसने आज तक हावी नहीं होने दिया । यही कारण है कि गोल दागने के महारथ के चलते उसे पेले, रोनाल्डो और मेस्सी के साथ जोड़ा जाता है।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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