मोहन भागवत के 3 बच्चे होने की बात पर हुई बवाल, रेणुका चौधरी ने दी प्रतिक्रया

Terror 4

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के परिवार बढ़ाने वाली टिप्पणी पर कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘मैं मोहन भागवत जी का सम्मान करती हूं, लेकिन उन्हें बच्चों के पालन-पोषण का क्या अनुभव है?’ उन्होंने कहा कि हर चीज में मिलावट है। खाद्य पदार्थों की कीमतें ऊंची हैं और जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, तो उन्हें रोजगार नहीं मिलता। लोगों को अधिक बच्चों की क्या जरूरत है। एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा कि क्या हम खरगोश हैं जो प्रजनन करते रहेंगे? रेणुका ने कहा, ‘कोई भी व्यक्ति अपनी बेटी की शादी बेरोजगार पुरुष से करने को तैयार नहीं है। युवाओं के पास नौकरी नहीं है। वे सबकी देखभाल कैसे करेंगे? उनके पास पैसे नहीं

क्या है मोहन भागवत का कहना?

बता दें कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने परिवार के महत्व पर जोर देते हुए रविवार को बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि अगर किसी समाज की जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे चली जाती है, तो वह समाज अपने आप नष्ट हो जाएगा। नागपुर में ‘कठाले कुलसम्मेलन’ में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि परिवार समाज का हिस्सा है और हर परिवार एक इकाई है। उन्होंने कहा, ‘जनसंख्या में कमी चिंता का विषय है, क्योंकि जनसंख्या विज्ञान कहता है कि अगर जनसंख्या दर 2.1 से नीचे चली गई तो वह समाज नष्ट हो जाएगा। कोई उसे नष्ट नहीं करेगा, वह अपने आप नष्ट हो जाएगा।’ उन्होंने कहा कि हमारे देश की जनसंख्या नीति, जो 1998 या 2002 के आसपास तय की गई थी, कहती है कि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए।

महंगाई और खर्च को लेकर हुए सवाल

कांग्रेस नेता ने खाने-पीने की चीजों में मिलावट, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी और बढ़ती यात्रा लागत की ओर भी ध्यान दिलाया. उन्होंने कहा, “अगर कोई बीमार हो जाता है और अस्पताल में भर्ती होता है तो इलाज के खर्च बहुत अधिक होते हैं.”

विपक्ष ने बात की आलोचना

राकांपा-एसपी नेता क्लाइड कैस्ट्रो ने मोहन भागवत के दो से अधिक बच्चे पैदा करने वाले बयान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “मोहन भागवत एक जिम्मेदार नेता हैं और वह जो कुछ कहते हैं, उन्हें कई लोग सुनते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि वे जैसा बयान दे रहे हैं, उन्हें इसके पीछे के कारणों पर भी गौर करना चाहिए। सिर्फ बयान देना और लोगों को अपनी बातें सुनाने से काम नहीं चलता है। मुझे लगता है कि जब वे बयान देते हैं तो उन्हें जिम्मेदार होना चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसका असर देश पर न पड़े।”

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