Delhi: दिल्ली एक बार फिर से देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार हो गई है, जहां रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 382 पर पहुंच गया, जो “गंभीर” श्रेणी के बेहद करीब है। यह स्थिति तब है जब पराली जलाने की हिस्सेदारी में कमी देखने को मिली है। शनिवार को पराली का योगदान केवल 15% था, जो शुक्रवार के 35% से काफी कम है। इसके बावजूद, वाहनों का धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन और निर्माण गतिविधियों से उठने वाली धूल जैसी घरेलू गतिविधियाँ दिल्ली के प्रदूषण की मुख्य वजह बन रही हैं।
दिल्ली के कई प्रमुख इलाके पहले से ही “गंभीर” श्रेणी में आ चुके हैं। आनंद विहार, रोहिणी, लाजपत नगर और पंजाबी बाग जैसे क्षेत्रों में AQI 425 से ऊपर दर्ज किया गया है। आनंद विहार में AQI 436 तक पहुंच गया है, जो शहर में सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र के रूप में उभरा है।
दिल्ली से सटे एनसीआर के शहरों में भी प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ है। बहादुरगढ़, नोएडा, सोनीपत और गुरुग्राम जैसे इलाकों का AQI भी चिंताजनक स्तर पर है। बहादुरगढ़ में AQI 335, नोएडा में 313, और सोनीपत में 321 पर है। यह स्थिति राजधानी और आसपास के क्षेत्रों के लिए गंभीर स्वास्थ्य खतरे का संकेत दे रही है, खासकर सर्दियों के मौसम में, जब तापमान में गिरावट और धीमी गति की हवा से प्रदूषण और अधिक बढ़ जाता है।
शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए तत्काल और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दियों में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए परिवहन, उद्योग और निर्माण कार्यों पर सख्ती से नजर रखनी होगी।
pooja
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