बहराइच हिंसा में चल रहे बुलडोजर को लेकर 3 आरोपी सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा

बहराइच

बहराइच हिंसा मामले में बड़ी खबर आई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बहराइच में आरोपियों के घर बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। फिलहाल ये रोक 15 दिन के लिए रहेगी, इस बीच कोर्ट मामले में सुनवाई करेगा और अपना अंतिम फैसला देगा।बहराइच हिंसा में शामिल मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद समेत अन्य आरोपियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में उनके घरों पर बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने की मांग की है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है यूपी सरकार उनके खिलाफ गैर कानूनी कार्रवाई कर रही हैl

हाई कोर्ट में होगी सुनवाई
अवैध निर्माण रोकने की याचिका पर इलाहबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच सुनवाई करेगी। कोर्ट दोनों पक्षों की दलीलें सुन फिर ये निर्णय देगी की अवैध निर्माण किया गया है या नहीं। अगर किया गया है तो उसे तोड़ा जाए की नहीं। बता दें बीते दिनों बहराइच में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान दो समुदायों के बीच हिंसा भड़की थी। दोनों तरफ से गोलीबारी और पथराव हुआ था। गोलीबारी में विसर्जन जुलूस में शामिल एक युवक की मौत हो गई थी। पुलिस इस मामले में तीन दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ जांच कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट में भी लगाई अर्जी

आनन फानन में आरोपी पक्ष हाईकोर्ट पहुंच गए और मामले की तत्काल सुनवाई के लिए अर्जी लगाई थी. आरोपियों ने अपनी अर्जी में बताया कि उनके मकान 10 साल से भी अधिक पुराने हैं. कई मकान तो 70 साल से भी अधिक पुराने हैं. यह अर्जी हिंसा के आरोपी अब्दुल हमीद की बेटी स्वालिहा और दो आरोपियों मोहम्मद अकरम और मोहम्मद निजाम की ओर से लगी है. इसी क्रम में आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में भी इसी तरह की याचिका लगाई है. इस मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है.

प्रशासन पर पक्षपात का आरोप

पीड़ित परिवारों का आरोप है कि अतिक्रमण की बात कहकर लोक निर्माण विभाग ने कस्बे के 23 घरों पर नोटिस चस्पा किया गया है। इसको लेकर पक्षपात के आरोप लगा रहे हैं। कस्बा निवासी मोहम्मद शकील का आरोप है कि सिर्फ 23 लोगों के घर पर नोटिस चस्पा किया गया है जबकि महाराजगंज कस्बे में ही सौ से अधिक मकान ऐसे बने हुए हैं, जो पीडब्ल्यूडी विभाग के मानक के विरुद्ध हैं। पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता अनुपम कुमार ने बताया कि मुख्य बिंदु से 60 फीट एक तरफ और 60 फीट एक तरफ सड़क क्षेत्र में है। कुल 120 फीट के अंदर के जो भी निर्माण हैं, अवैध हैं।

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